कहते हैं काशी इतिहास से भी पुराना शहर हैं | अध्यात्मिक दृष्टी से कशी का बड़ा महत्व हैं | कशी को मंदिरो का शहर भी कहा जाता हैं | यहाँ आपको हर गली कूचे पर कोई ना कोई मंदिर ज़रूर दिख जाएगा | चलिए आज इस लेख के माध्यम से जानेंगे कशी के कोतवाल कहे जाने वाले बाबा काल भैरव की कहानी |
बनारस यूँ तो आम तौर पर मंदिरो और गलियों का शहर मना जाता हैं | लेकिन मुख्य रूप से लोग यहाँ सिर्फ एक ही मंदिर के दर्शन करने आते हैं जो हैं ललिता घाट के तट पर बसा विश्व प्रसिद्ध कशी विश्वनाथ मंदिर | कशी विश्वनाथ बारह ज्योतिर्लिंग में से एक हैं | लेकिन क्या आप जानते हैं बनारस में कशी विश्वनाथ के अलावा एक मंदिर और हैं जो यहाँ की शान हैं? जो हैं काल भैरव बाबा का मंदिर | मान्यताओ के अनुसार, बनारस आने वाले श्रद्धालुओं की तीर्थ यात्रा तब तक पूरी नहीं होती जब तक वो भैरो बाबा के दर्शन नहीं कर लेते। काल भैरव की पूजा अर्चना के बिना काशी विश्वनाथ के दर्शन भी अधूरे माने जाते है।कशी विश्वनाथ को काशी का राजा कहाँ जाता हैं, वहीं काल भैरव बाबा को कशी के कोतवाल कहते हैं | कहते हैं उनकी मर्ज़ी के बिना कोई कशी में कदम भी नहीं रख सकता |धार्मिक मान्यता है कि इस शहर में भैरव बाबा की ही मर्जी चलती है और वह पूरे शहर की व्यवस्था देखते हैं। इतना ही नहीं यहां के लोगों के बीच यह मान्यता है कि यहां मंदिर के पास एक कोतवाली भी है, और काल भैरव स्वयं उस कोतवाली का निरीक्षण करते हैं।
जानिए क्या भैरव बाबा मंदिर के पीछे की पौराणिक कथा?
शिव पुराण के अनुरास एक बार तीनों देवों ब्रह्मा, विष्णु, महेश मे विवाद हुआ | ब्रह्मा और विष्णु कह रहे थे की यह सृष्टि वो खुद चलाते हैं | इसपर जब भगवान शिव जी ने कहाँ की यह सृष्टि मेरी हैं, मैं ही सब कुछ हूँ, आदि, अनंत | यह सुन कर वो दोनों भगवान शिव का उपहास करते है | इस पर शिव जी क्रोधित हो जाते हैं | भगवान शिव ने क्रोधित होकर रौद्र रूप धारण किया | और इसी रौद्र रूप से काल भैरव का जन्म हुआ | काल भैरव ने अपने अपमान का बदला लेने के लिए ब्रह्मा के पांचवे सिर को काट दिया. इससे भैरव पर ब्रह्म हत्या का दोष लग गया |
ब्रह्म की हत्या के पाप से मुक्ति के लिए शिव ने काल भैरव को प्रायश्चित करने को कहां | काल भैरव ने प्रायश्चित के लिए त्रिलोक का भ्रमण किया | और काशी पहुंचने के बाद वे ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्त हो गये | तब से काल भैरव काशी में ही स्थापित हो गए और शिवजी ने काल भैरव को आशीर्वाद दिया कि तुम इस नगर के कोतवाल कहलाओगे और इसी रूप में तुम्हारी युगों-युगों तक पूजा होगी।
काल भैरव दो शब्दों से मिलकर बना है। काल और भैरव। काल का शाब्दिक अर्थ हैं मृत्यु, डर और अंत। भैरव का अर्थ है भय को हरने वाला यानी जिसने भय पर जीत हासिल किया हो। काल भैरव की पूजा करने से मृत्यु का भय दूर होता है और कष्टों से मुक्ति मिलती है।काल भैरव को बीमारी, भय, संकट और दुख को हरने वाला स्वामी माना जाता है। इनकी पूजा से हर तरह की मानसिक और शारीरिक परेशानियां दूर हो जाती हैं। यहाँ लोग नज़र उतरवाने भी आते हैं | कहते हैं यहाँ के प्रसाद में रक्षा सूत्र दिया जाता हैं, जिससे बुरी नज़र नहीं लगती | काल भैरव का रूप अत्यंत भयानक, भयंकर और विनाशकारी होता है। वह संसार के सभी कष्टों और संकटों को नष्ट करता है और शिव भक्तों को सुख, शांति और संपूर्णता प्रदान करता है।